Whats is Indian GPS NavIC? डिपार्टमेंट और स्पेस यानि अंतरिक्ष विभाग ने बीते दिन विज्ञान की संसदीय समिति को बताया कि जल्द आधार नामांकन में यूज होने वाले डिवाइसेस में स्वदेशी जीपीएस नाविक को जोड़ा जाएगा. यानि अमेरिकी जीपीएस के बदले देश में बने सिस्टम का इस्तेमाल किया जाएगा. संसदीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि DOS ने फील्ड ट्रायल पूरा कर लिया है और टेक्निकल उपकरणों पर काम चल रहा है. जिन लोगों को नहीं पता कि नाविक को किसने तैयार किया है तो उन्हें बता दें कि इसे Indian Regional Navigation Satellite System (IRNSS) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने साथ मिलकर बनाया है. प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका नाम भारतीय मछुआरों को समर्पित करते हुए नाविक रखा है.
फोन में मिलेगा स्वदेशी जीपीएस
भारत सरकार प्रमुख मोबाइल निर्माताओं से देश में बेचे जाने वाले स्मार्टफोन में स्वदेशी जीपीएस नाविक को लाने के लिए कह रही है. जिस तरह अभी आप गूगल मैप्स आदि के लिए जीपीएस का इस्तेमाल करते हैं, ठीक इसी तरह नाविक भी आपको लोकेशन से जुड़ी मदद पहुंचाएगा. NavIC दो सेवाएँ प्रदान करता है: पहला- स्टैंडर्ड पोजीशन सर्विस (SPS) और दूसरा Restricted Service (RS) है. पहली सर्विस सिविलियन्स के लिए है जबकि दूसरी रणनीतिक उपयोगकर्ताओं के लिए है. ये दोनों सेवाएँ L5 (1176.45 MHz) और S बैंड (2498.028 MHz) में प्रदान की जाती हैं. NavIC कवरेज क्षेत्र में भारत और भारतीय सीमा से परे 1,500 किमी तक का क्षेत्र शामिल है. यानि आपको भारत के आस-पास के 1500 किमी तक का लोकेशन डेटा मिलेगा.
NDMA यानि राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन एजेंसी पहले से ही नाविक का इस्तेमाल भूस्खलन, भूकंप, बाढ़ और हिमस्खलन जैसी प्रमुख प्राकृतिक आपदाओं के लिए चेतावनी प्रसार प्रणाली के लिए कर रही है. इसके अलावा गहरे समुद्र में जाने वाले मछुआरों को चक्रवात, ऊंची लहरें और सुनामी से जुडी चेतावनी देने के लिए भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना प्रणाली केंद्र (INCOIS) भी इसका इस्तेमाल कर रहा है.
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