बस मिट्टी से दोस्ती कीजिए और सालों लंबी जिंदगी पाइए, वैज्ञानिकों ने खोजा बागवानी का ये राज

- Advertisement -



<p style="text-align: justify;"><strong>Scientist Invention:</strong> क्या आप जानते हैं कि बागवानी सिर्फ एक शौक नहीं बल्कि लंबी और बेहतर ज़िंदगी का राज़ भी हो सकती है? हालिया शोध बताते हैं कि बागवानी से न केवल मानसिक क्षमताएं बरकरार रहती हैं बल्कि यह बुज़ुर्गों के लिए डिमेंशिया जैसी बीमारियों से लड़ने में भी बेहद कारगर साबित हो रही है. नॉर्वे की एक रिटायर्ड दादी, मरियान रोगस्टाड, जो स्विट्ज़रलैंड में होटल रिसेप्शनिस्ट रहीं, अपने जीवन के अंतिम वर्षों में डिमेंशिया से जूझ रही थीं. लेकिन जब उन्होंने ओस्लो के पास एक ‘केयर फार्म’ से जुड़ाव बनाया तो उनकी ज़िंदगी दोबारा रंगों से भर उठी. यह ‘इम्पुल्ससेंटर’ नाम का फार्म, ऐसे लोगों के लिए एक ठिकाना है जो सामाजिक रूप से अलग-थलग पड़ चुके हैं. यहां मिट्टी से जुड़कर लोग न सिर्फ काम करते हैं बल्कि एक-दूसरे से संवाद भी करते हैं जिससे उनकी मानसिक स्थिति में चमत्कारी सुधार देखा गया है.</p>
<h2 style="text-align: justify;"><strong>स्टडी में हुआ खुलासा</strong></h2>
<p style="text-align: justify;">बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, नॉर्वे ने 2015 में राष्ट्रीय स्तर पर डिमेंशिया के लिए एक देखभाल योजना शुरू की जिसमें ‘इन पि टुनेट’ यानी ‘आंगन में वापसी’ जैसी फार्म आधारित देखभाल सुविधाएं शामिल हैं. अब यूरोप और कई अन्य देशों में इन ‘ग्रीन प्रिस्क्रिप्शन’ का चलन बढ़ रहा है जहां रोगियों को प्रकृति में समय बिताने की सलाह दी जाती है.</p>
<p style="text-align: justify;">कनाडा की चिकित्सक और शोधकर्ता मेलिसा लेम के अनुसार, बागवानी शारीरिक गतिविधि, तनाव में कमी और सामाजिक जुड़ाव को बढ़ावा देती है जिससे रक्तचाप, शुगर और वजन नियंत्रण में मदद मिलती है, ये सभी कारक डिमेंशिया जैसी बीमारियों से बचाव में अहम भूमिका निभाते हैं. स्कॉटलैंड की यूनिवर्सिटी ऑफ एडिनबरा के शोध में यह साफ पाया गया कि जो लोग जीवन भर बागवानी करते रहे, उनकी बुद्धि और स्मृति शक्ति में बेहतर सुधार देखने को मिला. पौधों की देखरेख, माली कार्य और बागवानी से जुड़े काम मस्तिष्क के उस हिस्से को सक्रिय रखते हैं जो याददाश्त, योजना और समस्या-समाधान से जुड़ा होता है.</p>
<p style="text-align: justify;">ऑस्ट्रेलिया में की गई एक स्टडी में यह सामने आया कि जो लोग नियमित रूप से बागवानी करते हैं, उनमें डिमेंशिया का खतरा 36% तक कम हो जाता है. साथ ही बागवानी से एकाग्रता बेहतर होती है, तनाव घटता है, दवाओं पर निर्भरता कम होती है और गिरने का खतरा भी घटता है.</p>
<p style="text-align: justify;">प्रसिद्ध शोधकर्ता रॉजर उलरिच के मुताबिक, पेड़ों और पौधों को देखना भी हमारे दिमाग को शांत करता है और स्वास्थ्य लाभ देता है. यह प्रभाव हमारे पूर्वजों की प्रकृति पर निर्भरता से जुड़ा हुआ है और यही कारण है कि आज भी हमारी मानसिक और शारीरिक सेहत पर प्रकृति का प्रभाव गहरा है. बागवानी में समय बिताने से शरीर की हड्डियां मजबूत होती हैं, मांसपेशियों की ताकत और लचीलापन बढ़ता है, साथ ही उम्रदराज़ लोगों की गति और संतुलन में भी सुधार होता है.</p>
<h2 style="text-align: justify;"><strong>बीमारी से मिलेगा छुटकारा</strong></h2>
<p style="text-align: justify;">यह सब केवल उन लोगों तक सीमित नहीं है जो पूरी तरह स्वस्थ हैं. डिमेंशिया से जूझ रहे लोगों के लिए भी बागवानी एक वरदान बनकर सामने आई है, यह उनकी याददाश्त, व्यवहार, संवाद और आत्मविश्वास को नए सिरे से जगाने में मदद करती है. आज यूरोप और ब्रिटेन में ऐसे कई देखभाल केंद्र विकसित हो रहे हैं जो बागवानी को थेरेपी के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं. इससे यह साफ है कि मिट्टी से जुड़ना सिर्फ पौधे नहीं, बल्कि ज़िंदगियाँ भी संवार सकता है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>यह भी पढ़ें:</strong></p>
<p style="text-align: justify;"><strong><a href=" एक मेल और खाली हो सकता है आपका खाता! जानिए इस नए गूगल फ्रॉड से कैसे बचें</a></strong></p>

FacebookTwitterEmailLinkedInPinterestWhatsAppTumblrCopy LinkTelegramRedditMessageShare
- Advertisement -
FacebookTwitterEmailLinkedInPinterestWhatsAppTumblrCopy LinkTelegramRedditMessageShare
error: Content is protected !!
Exit mobile version