अब समुद्र बनेगा पेट्रोल पंप! नई तकनीक से पानी से निकलेगा हाइड्रोजन फ्यूल

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<p style="text-align: justify;"><strong>New Fuel Technology:</strong> संयुक्त अरब अमीरात की शारजाह यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने एक ऐसी अनोखी तकनीक विकसित की है जो सीधे समुद्री पानी से स्वच्छ हाइड्रोजन ईंधन निकाल सकती है वो भी बिना किसी रसायन या महंगे डीसालिनेशन (नमक हटाने वाली) प्रक्रिया के.</p>
<h2 style="text-align: justify;"><strong>बिना नमक हटाए सीधे हाइड्रोजन उत्पादन</strong></h2>
<p style="text-align: justify;">यह तकनीक समुद्र के खारे पानी से बिना खनिज लवण हटाए उद्योग स्तर पर हाइड्रोजन उत्पादन को संभव बनाती है. आम तौर पर हाइड्रोजन बनाने के लिए शुद्ध पानी की ज़रूरत होती है जो कई देशों में उपलब्ध नहीं होता लेकिन इस नई खोज ने उस ज़रूरत को ही खत्म कर दिया है.</p>
<h2 style="text-align: justify;"><strong>मल्टीलेयर्ड इलेक्ट्रोड</strong></h2>
<p style="text-align: justify;">इस रिसर्च के प्रमुख वैज्ञानिक, डॉ. तनवीर उल हक़ के अनुसार, टीम ने एक मल्टी-लेयर्ड (बहु-स्तरीय) इलेक्ट्रोड तैयार किया है जो समुद्री पानी में क्लोराइड आयनों से होने वाले जंग और गिरावट से खुद को सुरक्षित रखता है. यह इलेक्ट्रोड एक ऐसा सूक्ष्म वातावरण बनाता है जो हाइड्रोजन उत्पादन को तेज़ भी करता है और उपकरण को लंबे समय तक टिकाऊ भी बनाता है.</p>
<h2 style="text-align: justify;"><strong>न डीसालिनेशन, न प्रदूषण</strong></h2>
<p style="text-align: justify;">इस सिस्टम में कोई केमिकल नहीं डाला जाता और फिर भी यह 300 घंटे तक बिना किसी परफॉर्मेंस लॉस के काम करती है. इतना ही नहीं, इसमें 98% इलेक्ट्रिकल इनपुट को सीधे हाइड्रोजन गैस में बदला गया जो इसे बेहद कुशल और टिकाऊ बनाता है.</p>
<h2 style="text-align: justify;"><strong>रेगिस्तानी और समुद्री इलाकों के लिए वरदान</strong></h2>
<p style="text-align: justify;">इस तकनीक को खास तौर पर धूप और समुद्री संसाधनों से भरपूर क्षेत्रों के लिए डिज़ाइन किया गया है, जैसे कि UAE. यहाँ मीठे पानी की भारी कमी है, लेकिन समुद्र और सूरज दोनों भरपूर हैं. वैज्ञानिकों का मानना है कि इससे तटीय इलाकों में सोलर हाइड्रोजन फार्म बनाना संभव हो जाएगा.</p>
<p style="text-align: justify;">नई इलेक्ट्रोड डिज़ाइन में एक कार्बोनेट परत होती है जो न केवल इलेक्ट्रोड को क्लोराइड आयनों से बचाती है, बल्कि ऑक्सीजन उत्पादन प्रक्रिया (OER) को भी तेज़ करती है. यह प्रक्रिया हाइड्रोजन बनाने के लिए अत्यंत आवश्यक है.</p>
<p style="text-align: justify;">इस खोज ने सिर्फ शोध पत्रों में जगह नहीं बनाई है बल्कि क्लीन एनर्जी स्टार्टअप्स और इनोवेशन हब्स का ध्यान भी खींचा है. अब वैज्ञानिक इसे पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर असली परिस्थितियों में टेस्ट करने की तैयारी में हैं जिसमें सौर ऊर्जा से चलने वाला, समुद्री पानी आधारित हाइड्रोजन जनरेटर शामिल है.</p>
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