अब मच्छर काटेंगे तो खुद मर जाएंगे! वैज्ञानिकों ने खोज निकाली ऐसी तकनीक जिससे गायब हो जाएंगे मच्छर

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<p style="text-align: justify;"><strong>Mosquito Killer:</strong> एक नई रिसर्च में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है, एक ऐसी गोली जो इंसानों के खून को मच्छरों के लिए ज़हर बना देती है. अफ्रीका के केन्या और मोज़ाम्बिक जैसे देशों में बड़े पैमाने पर किए गए अध्ययन में पाया गया कि आईवरमेक्टिन (Ivermectin) नाम की दवा से मलेरिया के मामलों में 26% की कमी देखी गई. ये दवा इंसान को तो नुकसान नहीं पहुंचाती लेकिन जब मच्छर काटते हैं तो वो खुद मर जाते हैं.</p>
<h2 style="text-align: justify;"><strong>मलेरिया रोकने में कारगर साबित हो रही है Ivermectin</strong></h2>
<p style="text-align: justify;">BOHEMIA नाम की सबसे बड़ी स्टडी में वैज्ञानिकों ने पाया कि जब पूरे समुदाय को इस दवा की खुराक दी गई तो मलेरिया के नए मामलों में काफी गिरावट आई. यह स्टडी Barcelona Institute for Global Health (ISGlobal) के नेतृत्व में की गई जिसमें la Caixa Foundation, Manhi&ccedil;a Health Research Centre (CISM) और KEMRI-Wellcome Trust जैसे संगठनों ने सहयोग किया. स्टडी के नतीजे प्रतिष्ठित The New England Journal of Medicine में प्रकाशित हुए हैं.</p>
<h2 style="text-align: justify;"><strong>क्यों ज़रूरी हो गई है नई रणनीति?</strong></h2>
<p style="text-align: justify;">2023 में दुनिया भर में 263 मिलियन मलेरिया केस और लगभग 5.97 लाख मौतें दर्ज की गईं. पारंपरिक उपाय जैसे मच्छरदानी (LLIN) और इंडोर स्प्रे (IRS) अब उतने असरदार नहीं रह गए हैं क्योंकि मच्छरों में कीटनाशकों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो चुकी है और अब वे बाहर या अनजाने समय पर काटते हैं. ऐसे में मलेरिया को रोकने के लिए नई सोच और नए तरीके ज़रूरी हो गए हैं.</p>
<h2 style="text-align: justify;"><strong>कैसे काम करती है ये गोली?</strong></h2>
<p style="text-align: justify;">Ivermectin आमतौर पर रिवर ब्लाइंडनेस और एलीफैंटियासिस जैसी उपेक्षित बीमारियों के इलाज में दी जाती है. लेकिन अब यह सामने आया है कि जब यह दवा किसी व्यक्ति को दी जाती है और मच्छर उसे काटता है तो मच्छर की तुरंत मौत हो जाती है. इस दवा का एक मासिक डोज़ कई दिनों तक असरदार रहता है.</p>
<h2 style="text-align: justify;"><strong>अफ्रीका में हुआ टेस्ट</strong></h2>
<p style="text-align: justify;">यह प्रयोग दो देशों केन्या के क्वाले काउंटी और मोज़ाम्बिक के मोपिया ज़िले में किया गया. केन्या में 5 से 15 साल के बच्चों को और मोज़ाम्बिक में 5 साल से कम उम्र के बच्चों को 400 mcg/kg डोज़ तीन महीने तक दिया गया. केन्या में इस दवा ने शानदार परिणाम दिए आईवरमेक्टिन लेने वाले बच्चों में मलेरिया के मामलों में 26% की गिरावट दर्ज की गई. इस स्टडी में 20,000 से अधिक प्रतिभागी और 56,000 से ज्यादा डोज़ शामिल रहे.</p>
<h2 style="text-align: justify;"><strong>WHO भी दिखा रहा है रुचि</strong></h2>
<p style="text-align: justify;">यह स्टडी WHO की वेक्टर कंट्रोल एडवाइजरी टीम तक पहुंच चुकी है और उन्होंने आगे और अध्ययन की सिफारिश की है. कई देश इस दवा को अपने मलेरिया नियंत्रण कार्यक्रम में शामिल करने पर विचार कर रहे हैं. ISGlobal की मलेरिया इनिशिएटिव की निदेशक रेजिना रैबिनोविच कहती हैं, "यह रिसर्च मलेरिया के भविष्य को बदल सकती है. Ivermectin एक जाना-पहचाना, सुरक्षित विकल्प है जो मौजूदा उपायों के साथ मिलकर काम कर सकता है."</p>
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