अब फ्री नहीं रहा Facebook और Instagram! हर महीने देने होंगे इतने रुपये, जानिए पूरी जानकारी

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<p style="text-align: justify;"><strong>Facebook and Instagram:</strong> पूरी दुनिया में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक और इंस्टाग्राम का काफी इस्तेमाल किया जाता है. लोग मनोरंजन से लेकर दोस्तों से जुड़ने तक के लिए इन प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करते हैं. अभी तक ये प्लेटफॉर्म बिलकुल फ्री थे. लेकिन अब ऐसा नहीं रहा, अब आपको फेसबुक और इंस्टाग्राम चलाने के लिए हर महीने पैसे देने होंगे.</p>
<p style="text-align: justify;">जी हां, दरअसल, यूके में अब फेसबुक और इंस्टाग्राम यूज़र्स को एड-फ्री वर्जन का विकल्प दिया जा रहा है. मेटा ने घोषणा की है कि जो लोग सोशल मीडिया स्क्रॉलिंग के दौरान विज्ञापनों से छुटकारा पाना चाहते हैं वे हर महीने &pound;3.99 (करीब ₹400) चुकाकर इसका लाभ उठा सकेंगे.</p>
<h2 style="text-align: justify;">क्यों लॉन्च हुआ एड-फ्री वर्जन?</h2>
<p style="text-align: justify;">मेटा लंबे समय से रेगुलेटरी दबाव का सामना कर रहा है. कंपनी पर यह आरोप था कि वह यूज़र्स के निजी डेटा का इस्तेमाल करके पर्सनलाइज्ड ऐड्स दिखाती है. इसी आलोचना के बीच मेटा ने सब्सक्रिप्शन मॉडल पेश किया है. इस प्लान के तहत वेब यूज़र्स को हर महीने &pound;2.99, मोबाइल यूज़र्स को हर महीने &pound;3.99 का भुगतान करना होगा. अगर यूज़र के पास फेसबुक और इंस्टाग्राम लिंक्ड अकाउंट हैं तो उन्हें सिर्फ एक ही सब्सक्रिप्शन लेना होगा.</p>
<p style="text-align: justify;">मेटा का कहना है कि, &ldquo;यूके के लोग अब दो विकल्पों में से चुन सकेंगे या तो मुफ्त में फेसबुक-इंस्टाग्राम इस्तेमाल करें और विज्ञापन देखें या फिर सब्सक्रिप्शन लेकर बिना विज्ञापन का अनुभव पाएं.&rdquo;</p>
<h2 style="text-align: justify;">यूरोप से अलग यूके का रुख</h2>
<p style="text-align: justify;">यूरोपियन यूनियन ने पहले ही मेटा को डिजिटल मार्केट्स एक्ट के उल्लंघन में दोषी ठहराते हुए 200 मिलियन यूरो का जुर्माना लगाया था. ईयू का कहना था कि कंपनी को एक ऐसा मुफ्त वर्जन देना चाहिए जिसमें कम डेटा (जैसे उम्र, जेंडर और लोकेशन) का इस्तेमाल हो.</p>
<p style="text-align: justify;">इसके विपरीत, यूके का इन्फॉर्मेशन कमिश्नर ऑफिस (ICO) इस कदम का स्वागत कर रहा है. ICO का कहना है कि यह बदलाव दिखाता है कि अब फेसबुक और इंस्टाग्राम का इस्तेमाल विज्ञापन देखने की अनिवार्यता से अलग हो जाएगा.</p>
<h2 style="text-align: justify;">यूके में डेटा प्राइवेसी को लेकर विवाद</h2>
<p style="text-align: justify;">इस साल ICO ने साफ किया था कि इंटरनेट यूज़र्स को यह अधिकार होना चाहिए कि वे अपने डेटा का इस्तेमाल विज्ञापनों के लिए होने से रोक सकें. इसी दौरान मेटा ने तान्या ओ&rsquo;कैरल नाम की ह्यूमन राइट्स एक्टिविस्ट से जुड़े एक केस में समझौता किया जिन्होंने कंपनी पर आरोप लगाया था कि उसने उनकी सहमति के बिना डेटा इस्तेमाल किया. समझौते के बाद मेटा ने संकेत दिया था कि वह एड-फ्री सब्सक्रिप्शन की दिशा में कदम उठाएगा और अब कंपनी ने इसे आधिकारिक तौर पर शुरू कर दिया है.</p>
<h2 style="text-align: justify;">UK-EU में बढ़ा अंतर</h2>
<p style="text-align: justify;">यूके की लॉ फर्म TLT के पार्टनर गैरेथ ओल्डेल के मुताबिक, ICO का यह स्टैंड साफ दिखाता है कि यूके सरकार डिजिटल इकोनॉमी और बिज़नेस ग्रोथ को बढ़ावा देना चाहती है. उनका कहना है कि इस फैसले ने यूके और ईयू के बीच डेटा प्रोटेक्शन और डिजिटल रेगुलेशन के नज़रिए में फर्क और गहरा कर दिया है.</p>
<p style="text-align: justify;">अब यूके के फेसबुक और इंस्टाग्राम यूज़र्स के पास विकल्प है मुफ्त में ऐड्स के साथ स्क्रॉल करें या फिर हर महीने कुछ पाउंड खर्च कर एड-फ्री एक्सपीरियंस का मज़ा लें. यह बदलाव जहां यूज़र्स को नई सुविधा देता है, वहीं यह दिखाता है कि डेटा प्राइवेसी और रेगुलेशन को लेकर दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में कंपनियों के लिए अलग नियम बन रहे हैं.</p>
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