<p style="text-align: justify;"><strong>India’s Hypersonic Missile:</strong> भारत की रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) साल 2025 के अंत तक अपनी पहली ध्वनि हाइपरसोनिक मिसाइल का उड़ान परीक्षण करने जा रही है. यह मिशन भारत को उन चुनिंदा देशों की श्रेणी में शामिल करेगा जिनके पास हाइपरसोनिक हथियार तकनीक है जैसे अमेरिका, रूस और चीन. ध्वनि एक अगली पीढ़ी की Hypersonic Glide Vehicle (HGV) मिसाइल है जो अत्यधिक स्पीड, सटीकता और चुपके से उड़ान क्षमता के साथ दुश्मन के हर रक्षा कवच को भेदने की क्षमता रखती है.</p>
<h2 style="text-align: justify;">स्पीड और रेंज</h2>
<p style="text-align: justify;">ध्वनि मिसाइल की गति मैक 6 (लगभग 7,400 किमी/घंटा) से अधिक बताई जा रही है जो ब्रह्मोस क्रूज़ मिसाइल की तुलना में लगभग दोगुनी है. इसकी ऑपरेशनल रेंज 6,000 से 10,000 किलोमीटर तक मानी जा रही है यानी यह भारत की अब तक की सबसे लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-V से भी दो गुना तक ज्यादा मारक हो सकती है.</p>
<p style="text-align: justify;">इतनी स्पीड पर उड़ने के कारण यह मिसाइल वायुमंडल में पुनः प्रवेश के बाद भी तेज़ ग्लाइड और अनपेक्षित दिशा-परिवर्तन कर सकती है जिससे इसे रोकना लगभग असंभव हो जाता है. यह आधुनिक एंटी-मिसाइल डिफेंस सिस्टम को भी चकमा देने में सक्षम होगी.</p>
<h2 style="text-align: justify;">लॉन्च मैकेनिज्म टेक्नोलॉजी और उड़ान प्रोफाइल</h2>
<p style="text-align: justify;">ध्वनि का लॉन्च सिस्टम पारंपरिक क्रूज़ मिसाइलों से अलग है. इसमें दो-स्तरीय प्रणोदन प्रणाली (Two-stage propulsion system) का इस्तेमाल किया गया है. पहले चरण में रॉकेट बूस्टर मिसाइल को ऊंचाई तक ले जाता है जिसके बाद ग्लाइड वाहन वायुमंडल में दोबारा प्रवेश कर हाइपरसोनिक स्पीड पर उड़ान जारी रखता है.</p>
<p style="text-align: justify;">इस प्रक्रिया में मिसाइल कम ऊंचाई पर उड़ते हुए कई एयरोबैटिक मूवमेंट्स करती है जिससे दुश्मन के रडार और ट्रैकिंग सिस्टम इसे पहचान नहीं पाते. ‘ध्वनि’ में स्क्रैमजेट इंजन तकनीक और उन्नत एयरोडायनामिक डिजाइन है जो इसे न सिर्फ तेज बल्कि ऊर्जा-कुशल भी बनाती है.</p>
<h2 style="text-align: justify;">हवा में गायब होने वाली मिसाइल</h2>
<p style="text-align: justify;"><strong>आकार और डिजाइन:</strong> लगभग 9 मीटर लंबी और 2.5 मीटर चौड़ी, यह मिसाइल ब्लेंडेड विंग-बॉडी डिजाइन पर आधारित है जिससे हवा में कम घर्षण और अधिक स्थिरता मिलती है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>थर्मल सुरक्षा:</strong> इसके निर्माण में अल्ट्रा-हाई टेंपरेचर सिरेमिक कंपोज़िट्स का प्रयोग हुआ है जो पुनः प्रवेश के दौरान 2000–3000°C तापमान सहन करने में सक्षम हैं.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>स्टेल्थ क्षमता:</strong> स्मूथ किनारों और एंगल्ड शेप के कारण यह रडार पर लगभग अदृश्य (Radar Invisible) रहती है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>नेविगेशन सिस्टम:</strong> इसमें इनर्शियल नेविगेशन, सैटेलाइट ट्रैकिंग और टेरेन मैचिंग गाइडेंस तकनीक शामिल है जिससे यह प्लाज़्मा ब्लैकआउट के दौरान भी सटीक निशाना लगा सकती है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>वारहेड क्षमता:</strong> यह मिसाइल 300 से 500 किलोग्राम तक के पारंपरिक या परमाणु वारहेड ले जाने में सक्षम होगी.</p>
<h2 style="text-align: justify;">भारत की रणनीतिक ताकत में नई छलांग</h2>
<p style="text-align: justify;">ध्वनि मिसाइल का विकास DRDO के Hypersonic Technology Demonstrator Vehicle (HSTDV) प्रोजेक्ट से मिली सफलता पर आधारित है. यह मिशन भारत की स्वदेशी रक्षा क्षमता को एक नई ऊंचाई पर ले जाएगा और देश को क्षेत्रीय स्तर पर एक मजबूत रणनीतिक बढ़त प्रदान करेगा.</p>
<p style="text-align: justify;">ध्वनि सिर्फ एक मिसाइल नहीं बल्कि भारत की वैज्ञानिक दक्षता और तकनीकी आत्मनिर्भरता का प्रतीक है. इसकी लॉन्चिंग के बाद भारत न केवल एशिया बल्कि पूरी दुनिया में हाइपरसोनिक डिफेंस टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में एक नई पहचान बनाएगा.</p>
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