Risks Due to AI: टेक कंपनियों ने अभी से कस ली कमर, लोकसभा चुनावों पर पड़ सकता है एआई और डीपफेक का असर

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<p style="text-align: justify;"><span style="font-weight: 400;"><strong>Deep Fakes:</strong> आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और डीपफेक (Deep Fakes) ने डिजिटल वर्ल्ड में कई चुनौतियां पेश की हैं. सचिन तेंदुलकर और रतन टाटा जैसे दिग्गजों से लेकर कई बॉलीवुड और बिजनेस की हस्तियां इसका शिकार हो चुकी हैं. अब आशंका जताई जा रही है कि भारत में होने वाले आम चुनाव में एआई और डीपफेक के जरिए असर डाला जा सकता है. ऐसे में बड़ी टेक कंपनियों ने चुनाव में इनका दुरुपयोग रोकने के लिए कमर कस ली है. लोकतांत्रिक प्रक्रिया को तकनीक के असर से निष्पक्ष रखने के लिए ये सभी मिलकर काम करेंगी.</span></p>
<h3 style="text-align: justify;"><strong>लगभग 50 देशों में होने जा रहे हैं चुनाव</strong></h3>
<p style="text-align: justify;"><span style="font-weight: 400;">साल 2024 में लगभग 50 देशों में चुनाव होने जा रहे हैं. दुनिया की कुल आबादी का बहुत बड़ा हिस्सा इस साल अपनी सरकारें चुनने जा रहा है. ऐसे में इन टेक कंपनियों ने एआई के गलत इस्तेमाल को रोकने के लिए यह फैसला लिया है. इस समझौते की घोषणा म्यूनिख सिक्योरिटी कांफ्रेंस के दौरान की गई. इसमें बताया गया कि एडोबी, अमेजन, गूगल, आईबीएम, मेटा, माइक्रोसॉफ्ट, ओपन एआई, टिकटॉक और एक्स मिलकर ऐसे कंटेंट को रोकेंगी. एआई का इस्तेमाल चुनावों को प्रभावित करने के लिए नहीं किया जा सकेगा.&nbsp;&nbsp;</span></p>
<h3 style="text-align: justify;"><strong>डीपफेक वीडियो, ऑडियो और फोटो को रोकेंगे&nbsp;</strong></h3>
<p style="text-align: justify;"><span style="font-weight: 400;">कांफ्रेंस में एआई से बने डीपफेक वीडियो, ऑडियो और फोटो को लेकर चिंता जताई गई. इसकी मदद से वोटरों को प्रभावित किया जा सकता है. वोटर समझ ही नहीं पाएंगे कि यह कंटेंट असली है या नकली. यह समझौता राजनीती में एआई के दुरूपयोग के खिलाफ बड़ा कदम माना जा रहा है. इस समझौते में चैटबॉट डेवलप करने वाली कंपनी एंथ्रोपिक (Anthropic) एवं इंफ्लेक्शन एआई (Inflection AI), वॉइस क्लोन स्टार्टअप एलेवेन लैब्स (ElevenLabs), चिप डिजायनर आर्म होल्डिंग्स (Arm Holdings), सिक्योरिटी कंपनी मैकेफी (McAfee) और ट्रेंड माइक्रो (TrendMicro) भी शामिल हुई हैं.</span></p>
<h3 style="text-align: justify;"><strong>स्वतंत्र और निपक्ष चुनाव के लिए एकजुट हुई तक कंपनियां&nbsp;</strong></h3>
<p style="text-align: justify;"><span style="font-weight: 400;">मेटा के ग्लोबल अफेयर्स प्रेसिडेंट निक क्लेग ने कहा कि एआई से पैदा हो रही चुनौतियों पर ध्यान देना बहुत जरूरी है. कोई एक टेक कंपनी, सरकार या सिविल सोसाइटी आर्गेनाईजेशन इससे जंग नहीं लड़ सकता. इसलिए जरूरी है कि सभी मिलकर काम करें. बड़ी कंपनियों के साथ आने से हमें एआई के गलत इस्तेमाल और डीपफेक से निपटने में मदद मिलेगी. हम सभी फ्री एंड फेयर चुनाव चाहते हैं.</span></p>
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