DOT Has Asked Telecom Operators And ISPs To Ensure Traceability Of People Who Use Wi-Fi Hotspots To Crackdown Illegal Public Internet

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Crackdown illegal public internet: इल्लीगल इंटरनेट के इस्तेमाल को रोकने के लिए सरकार ने टेलीकॉम कंपनियों और इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स को उन लोगों की पहचान सुनिश्चित करने के लिए कहा है जो वाई-फाई हॉटस्पॉट का उपयोग छात्रावास, रीडिंग रूम, अध्ययन केंद्र, पुस्तकालय और ठहरने जैसी जगहों पर करते हैं. ये आदेश तब आया है जब डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशन ने ये नोट किया कि छात्रावास मालिक, स्टडी सेंटर आदि अपने व्यक्तिगत ब्रॉडबैंड कनेक्शन का उपयोग व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए कर रहे हैं.  DoT ने पिछले सप्ताह टेलीकॉम कंपनियों और ISP को लिखे एक पत्र में कहा कि ऐसी सुविधाओं पर डेटा डाउनलोड बहुत बड़ा है और प्रति माह टेराबाइट्स की मात्रा में रिकॉर्ड किया जा रहा है. यानि ज्यादा अमाउंट में इंटनरेट पर चीजें अपलोड और डाउनलोड हो रही हैं.

बता दें, वर्तमान में ऐसे यूजर्स का टेलीकॉम कंपनियों के पास कोई डेटा बेस नहीं है. लेकिन अब सरकार चाहती है कि ऐसे सभी लोगों को ट्रेस किया जाएं क्योकि इंटरनेट का इस्तेमाल पब्लिक जगहों पर ज्यादा हो रहा है. हालांकि इसमें 2 समस्याएं भी हैं. पहला तो, शेयर्ड पासवर्ड का उपयोग करके इन हॉटस्पॉट पर वाई-फाई का उपयोग करने वाले हजारों लोगों की व्यक्तिगत पहचान या आईपी अड्रेस को ट्रेस कर पाना मुश्किल हो जाता है. दूसरा, व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए व्यक्तिगत कनेक्शन का उपयोग करके हॉस्टल मालिक या संबंधित संस्थाएं बैंडविड्थ को फिर से बेचने के लिए आवश्यक लाइसेंस को दरकिनार कर रही हैं. यानि वे लाइसेंस के झमेले में नहीं पड़ा चाहती. 

लगाएं जाएं पीएम वाणी हॉटस्पॉट

अवैधताओं को रोकने के लिए DoT ने टेलीकॉम कंपनियों और ISP को सुधारात्मक उपाय करने और यूजर्स के इंटरनेट प्रोटोकॉल विवरण रिकॉर्ड (IDPR) और उनकी ट्रेस करने योग्य आईडी को एकत्र करने के लिए तंत्र सुनिश्चित करने के लिए कहा है. साथ ही DOT ने टेलीकॉम कंपनियों को लोगों की आईडी को ट्रेस करने के लिए ऐसे स्थानों पर अपने इंटरनेट कनेक्शन के साथ पीएम वानी (प्रधानमंत्री वाई-फाई एक्सेस नेटवर्क इंटरफेस) हॉटस्पॉट स्टैक को एकीकृत करने की सलाह भी दी है.

गलत एक्टिविटी पर रखी जा सकेगी नजर

दरअसल, सरकार टेलीकॉम कंपनियों और आईएसपी से इंटरनेट यूजर्स के आईपी विवरण का रिकॉर्ड बनाने के लिए इसलिए कह रही है ताकि जरूरत पड़ने पर इस डेटा को चेक किया जा सके. इस डेटा का इस्तेमाल आतंकवादी गतिविधियों, साइबर धोखाधड़ी आदि को ट्रैक करने के लिए भी किया जा सकता है. इसके अलावा, सरकार पीएम वाणी को भी बड़े लेवल पर शुरू करना चाहती है जो 2020 में लॉन्च होने के बाद से शुरू नहीं हो पाया है. 

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