What is PM WANI Scheme? सार्वजनिक डेटा कार्यालयों यानि PDOs से ली जाने वाली उच्च कनेक्शन दरों को लेकर दूरसंचार विभाग (डीओटी) और भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) आमने-सामने हैं. जिन लोगों को नहीं पता कि पीडीओ क्या हैं तो दरअसल, ये स्थानीय आउटलेट हैं जो प्रधान मंत्री वाई-फाई एक्सेस नेटवर्क इंटरफेस (पीएम वाणी) कार्यक्रम के तहत सार्वजनिक वाई-फाई हॉटस्पॉट तैनात रहे हैं. ET की रिपोर्ट के मुताबिक, टेल्कोस और इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स PDOs और पब्लिक डेटा ऑफिस एग्रीगेटर्स से (PDOAs) सालाना 8 लाख रुपये चार्ज करते हैं. ये पैसा सार्वजनिक वाई-फाई हॉटस्पॉट को तैनात करने के लिए आवश्यक बैंडविड्थ और फाइबर संसाधनों के लिए इंटरनेट-लीज्ड लाइनों की वजह से लिया जाता है.
PDO और BIF ने की है चार्ज कम करने की मांग
DOT का मानना है कि पीडीओ और ब्रॉडबैंड इंडिया फोरम (बीआईएफ) जैसे संगठनों द्वारा दूरसंचार कंपनियों के जरिए लिए जाने वाले सालाना चार्ज में कटौती को लेकर की गई मांग उचित है. हालांकि, टेलीकॉम रेगुलेटरी ऑफ़ इंडिया इस बात से सहमत नहीं है और उसने टैरिफ के आधार पर आईएसपी और टेलीकॉम कंपनियों के व्यवसाय संचालन में हस्तक्षेप करने के विचार को सही नहीं बताया है.
50 मिलियन का है लक्ष्य
Trai में पीएम वानी की मूल रूप से मार्च 2017 में सिफारिश की थी. इस प्रोग्राम के तहत अब तक, 190 पीडीओ एग्रीगेटर्स द्वारा केवल 150,000 सार्वजनिक वाई-फाई हॉटस्पॉट तैनात किए गए हैं. भारत 6G विज़न दस्तावेज़ के तहत 2030 तक 50 मिलियन सार्वजनिक वाई-फ़ाई हॉटस्पॉट का लक्ष्य बना रहा है. पीएम वाणी के तहत सस्ते दाम में सभी को इंटरनेट सर्विस प्रदान की जाएगी और इसके लिए सरकार प्रत्येक पंचायत और गांव डाटा ऑफिस खोल रही है जिसकी देखरेख सार्वजनिक डेटा ऑफिस एग्रीगेटर्स के द्वारा की जाएगी.
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