warning! सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर के चक्कर में फंसे, तो चिपकेगा घटिया सामान

- Advertisement -


Warning! सोशल मीडिया पर आपको कई विज्ञापन दिखाई देते है. इसमें कुछ विज्ञापन सीधे कंपनियों की ओर से किए जाते हैं, तो कुछ विज्ञापन सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर के द्वारा पेड होते हैं, जिसमें इंफ्लुएंसर किसी एक प्रोडक्ट को प्रमोट करते हुए उसकी अच्छाई बताते हैं. इसको देखकर आप उस प्रोडक्ट को खरीद लेते हैं, लेकिन ये प्रोडक्ट एकदम खराब होते हैं और आप अपने आप को ठगा हुआ महसूस करते हैं.

आपको बता दें हाल ही में एक स्टडी में दावा किया गया है कि, सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर के चक्कर में आकर 22 प्रतिशत लोगों ने ऐसे प्रोडक्ट खरीद लिए, जिनकी उनको जरूरत भी नहीं थी या ये प्रोडक्ट एकदम खराब निकले. अगर आप ऐसे इंफ्लुएंसर से बचना चाहते हैं, तो इनको पहचाने का तरीका यहां हम बताने जा रहे हैं.

इन्फ्लुएंसर की पॉपुलैरिटी का उठाते हैं फायदा

ज्यादातर कंपनी इन्फ्लुएंसर की पॉपुलैरिटी का फायदा उठाते हुए ऐसे प्रोडक्ट का प्रमोशन कराते हैं, जो वास्तविकता में बहुत खराब होते हैं. इन विज्ञापन को देखकर यूजर्स भ्रमित होकर उन्हें खरीद लेते हैं. पोर्ट्समाउथ विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के अनुसार सोशल मीडिया पर सक्रिय 16-60 साल की उम्र के यूजर्स कंपनियों के प्रमुख टारगेट होते हैं.

इन्फ्लुएंसर पुरुषों को बनाते हैं सबसे ज्यादा वेबकूफ

पोर्ट्समाउथ विश्वविद्यालय की स्टडी में सामने आया है कि इन्फ्लुएंसर के झांसे में सबसे ज्यादा 70 प्रतिशत पुरुष आते हैं, साथ ही स्टडी में बताया गया है कि सबसे ज्यादा 16-33 साल की आयु के लोग इन इन्फ्लुएंसर का शिकार बनते हैं.

प्रोडक्ट्स की जांच करने का आग्रह

पोर्ट्समाउथ विश्वविद्यालय में स्कूल ऑफ क्रिमिनोलॉजी एंड क्रिमिनल जस्टिस के डॉ. डेविड शेफर्ड ने कहा कि हम हर किसी से उन प्रोडक्ट्स की जांच करने का आग्रह करते हैं, जिनका वे समर्थन करते हैं. उनकी सलाह है कि सोशल मीडिया इन्फ्लूएंसर्स से मूर्ख मत बनो.

खेलें इलेक्शन का फैंटेसी गेम, जीतें 10,000 तक के गैजेट्स 🏆
*T&C Apply

यह भी पढ़ें : 

Google ने शुरू की .meme डोमेन की रजिस्ट्री, यूजर्स अब बना सकेंगे अपनी वेबसाइट को फनिएस्‍ट

- Advertisement -

Latest articles

Related articles

error: Content is protected !!