<p style="text-align: justify;"><strong>AI Death Prediction:</strong> अगर दुनिया में जन्म लिया है तो मरना भी तय है. किसी भी शख्स की मौत को लेकर कुछ नहीं कहा जा सकता. आने वाले वक्त में क्या हो जाए, यह कोई नहीं जानता. हालांकि लगातार बदलती तकनीक से बहुत कुछ असंभव लगने वाला संभव होने लग गया है. अभी आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस यानी एआई का दौर चल रहा है, जो नए-नए कारनामों से सबको हैरान कर रहा है. इसके अपडेट होने के साथ-साथ ही तेजी से इंसानों की दुनिया भी बदलती जा रही है. अब एआई के जरिए लोगों की मौत की तारीख और समय की भविष्यवाणी का पता लगाया जा रहा है. </p>
<p style="text-align: justify;">भले ही यह डरावना हो, लेकिन बहुत से लोग इस बात को जानने के लिए उत्सुक रहते हैं कि उनकी मौत कैसे और कब होगी? इसके जवाब के लिए लोग एस्ट्रोलॉजर्स के पास भी जाते हैं, लेकिन इसका सटीक जवाब उन्हें नहीं मिल पाता. यूरोपीय देश डेनमार्क में वैज्ञानिक एआई तकनीक का इस्तेमाल कर इस बात का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि आपकी मौत कब हो सकती है. </p>
<h3 style="text-align: justify;">किस तरह काम करता है ‘डैथ कैलकुलेटर’?</h3>
<p style="text-align: justify;">डेनमार्क में वैज्ञानिक लाइफ2वेक नाम के एक प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं. इस प्रोजेक्ट के तहत वैज्ञानिक यह दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि तकनीक कितनी अद्भुत हो सकती है, लेकिन वे इससे होने वाले खतरों के बारे में भी चेतावनी दे रहे हैं. इस प्रोजेक्ट के जरिए वैज्ञानिक ये जानना चाहते हैं कि वो स्वास्थ्य और सामाजिक घटनाओं का पूर्वानुमान लगा सकते हैं या नहीं. </p>
<h3 style="text-align: justify;">कौन सी टेक्नोलॉजी होती है इस्तेमाल</h3>
<p style="text-align: justify;">टेक्निकल यूनिवर्सिटी ऑफ डेनमार्क ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी पर बेस्ड एक ‘डेथ कैलकुलेटर’ तैयार किया है. इस डेथ प्रीडिक्टर को लेकर दावा किया गया है कि ये किसी व्यक्ति की जीवन की अवधि को बेहद सटीकता से बता सकता है. आसान भाषा में कहें, तो ये डेथ प्रीडिक्टर किसी इंसान को बता सकता है कि वह कितने साल जीने वाला है. एक तरह इंसान को अपनी एक्सपायरी डेट ही मिल जाएगी. वैज्ञानिकों का इसको लेकर कहना है कि ये प्रोजेक्ट भी चैटजीपीटी की तरह ही एक एल्गोरिदम और डेटा पर काम करता है.</p>
<p style="text-align: justify;">टेक्निकल यूनिवर्सिटी ऑफ डेनमार्क (डीटीयू) के प्रोफेसर स्यून लीमैन (Sune Lehmann) ने इसके बारे में समाचार एजेंसी AFP को जानकारी दी है. उन्होंने बताया कि टेस्टिंग के लिए 2008 से 2020 तक 60 लाख लोगों से जुड़े स्वास्थ्य और लेबर मार्केट डेटा का विश्लेषण किया गया. इसके जरिए डेट प्रीडिक्टर ने 78 फीसदी सटीकता के साथ सही डेटा दिखाया है. लीमैन बताते हैं कि यह किसी भी चीज की भविष्यवाणी कर सकता है. हमने हर व्यक्ति के जीवन में घटित होने वाली घटनाओं का सीक्वेंस तैयार किया और विश्लेषण के लिए चैटजीपीटी के पीछे की टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया है.</p>
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