<p style="text-align: justify;"><strong>HQ-19 Missile System:</strong> 6 जून 2025 को पाकिस्तान सरकार ने अपने आधिकारिक X (पूर्व ट्विटर) अकाउंट पर जानकारी साझा करते हुए बताया कि प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ के नेतृत्व में चीन के साथ एक बड़ा रक्षा समझौता हुआ है. इस समझौते के तहत चीन ने पाकिस्तान को HQ-19 लॉन्ग रेंज एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम देने की पेशकश की है. यह सौदा न केवल पाकिस्तान की सैन्य ताकत को कई गुना बढ़ा सकता है बल्कि दक्षिण एशिया में सामरिक संतुलन को भी प्रभावित कर सकता है.</p>
<h2 style="text-align: justify;"><strong>HQ-19 क्या है?</strong></h2>
<p style="text-align: justify;">HQ-19 एक एंटी-बैलिस्टिक मिसाइल इंटरसेप्टर सिस्टम है जिसे चीन की Aerospace Science and Technology Corporation ने विकसित किया है. यह सिस्टम अमेरिका के THAAD सिस्टम जैसा ही माना जाता है और इसे मिड-कोर्स और टर्मिनल फेज में मध्यम से इंटरमीडिएट रेंज की बैलिस्टिक मिसाइलों को मार गिराने के लिए डिजाइन किया गया है. HQ-19 में हिट-टू-किल तकनीक है जिसमें रडार और इंफ्रारेड गाइडेंस मिलकर दुश्मन की मिसाइल को हवा में ही नष्ट कर देते हैं.</p>
<p style="text-align: justify;">इसकी पहुंच 1,000 किलोमीटर से अधिक और ऊंचाई पर इंटरसेप्शन क्षमता 200 किलोमीटर से ऊपर मानी जाती है. यह सिस्टम पाकिस्तान को भारत की अग्नि मिसाइल सीरीज़ और ब्रह्मोस क्रूज़ मिसाइल जैसे खतरों से निपटने में मदद कर सकता है.</p>
<h2 style="text-align: justify;"><strong>क्यों अहम है ये डील?</strong></h2>
<p style="text-align: justify;">अगर HQ-19 पाकिस्तान में तैनात होता है तो यह पहली बार होगा जब चीन इस मिसाइल डिफेंस सिस्टम का एक्सपोर्ट करेगा. यह दर्शाता है कि चीन अब अपने करीबी साझेदारों को अत्याधुनिक सामरिक तकनीक देने को तैयार है. इससे पाकिस्तान की स्ट्रैटेजिक सेकेंड-स्ट्राइक कैपेसिटी और भी मज़बूत होगी. पिछले कुछ वर्षों में पाकिस्तान ने चीन से कई हाई-टेक हथियार सिस्टम खरीदे हैं जिनमें J-10C फाइटर जेट्स, विंग लूंग ड्रोन, VT-4 टैंक, FN-6 मिसाइलें और Type-054A/P फ्रिगेट्स शामिल हैं.</p>
<h2 style="text-align: justify;"><strong>भारत की प्रतिक्रिया</strong></h2>
<p style="text-align: justify;">भारत के पास पहले से ही रूस से लिया गया S-400 ट्रायम्फ सिस्टम है जो एक मल्टी-लेयर एयर डिफेंस सिस्टम है. यह विमान, ड्रोन और मिसाइलों को एक साथ निशाना बना सकता है. लेकिन S-400 की बैलिस्टिक मिसाइल इंटरसेप्शन क्षमता, HQ-19 जैसी ऊंचाई और दूरी पर काम नहीं कर सकती. ऐसे में HQ-19 की तैनाती दक्षिण एशिया में मिसाइल डिफेंस पावर बैलेंस को चुनौती दे सकती है. यह भारत को अपनी मिसाइल रक्षा नीति पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर कर सकता है.</p>
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S-400 से मुकाबला करने के लिए चीन पाकिस्तान को दे रहा ये खतरनाक मिसाइल सिस्टम! क्या भारत की बढ़ेगी चिंता?
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