SIM Binding क्या है? WhatsApp–Telegram यूजर्स को लगने वाला है बड़ा झटका, जानें पूरी कहानी

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<p style="text-align: justify;"><strong>SIM Binding:</strong> सरकार ने एक नया नियम लागू करने की तैयारी कर ली है जिसके बाद भारत में कई बड़े मैसेजिंग और सोशल कम्युनिकेशन ऐप्स का इस्तेमाल करने का तरीका बदल जाएगा. इसमें WhatsApp, Telegram, Signal, Snapchat, ShareChat, JioChat, Arattai और Josh जैसे लोकप्रिय ऐप्स शामिल हैं. यदि आप भी इन्हें इस्तेमाल करते हैं तो आने वाले महीनों में आपके अनुभव में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है.</p>
<h2 style="text-align: justify;">सरकार ने आखिर कहा क्या है?</h2>
<p style="text-align: justify;">दूरसंचार विभाग (DoT) ने इन ऐप्स को निर्देश दिया है कि अगले 90 दिनों के भीतर वे अपनी सर्विस इस तरह तैयार करें कि ऐप तभी चले जब फोन में वही SIM मौजूद हो जिससे अकाउंट वेरिफाई किया गया था. जैसे ही वह SIM निकाली जाएगी, ऐप ऑटोमैटिक बंद हो जाना चाहिए. इसी प्रक्रिया को SIM Binding कहा जाता है.</p>
<p style="text-align: justify;">अभी तक आप WhatsApp या Telegram पर एक बार OTP से लॉगिन करते हैं और उसके बाद SIM बदलने पर भी ऐप चलता रहता है चाहे SIM हट चुकी हो या फोन Wi-Fi पर चल रहा हो. सरकार का कहना है कि यही सुविधा सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बन रही है.</p>
<h2 style="text-align: justify;">सरकार को SIM Binding क्यों जरूरी लग रही है?</h2>
<p style="text-align: justify;">सरकार का दावा है कि कई साइबर अपराधी&mdash;खासतौर पर भारत के बाहर बैठे ठग इंडियन मोबाइल नंबरों का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं. वे पुराने, निष्क्रिय या फर्जी नंबरों से अकाउंट बनाते हैं और बिना SIM के ऐप चलते रहने का फायदा उठाकर लोकेशन छुपाते हैं. SIM फिजिकली फोन में न होने के कारण उनकी ट्रैकिंग मुश्किल हो जाती है. अगर ऐप SIM हटते ही बंद हो जाएगा तो सरकार का मानना है कि धोखेबाज़ों के पास मौजूद यह बड़ा loophole बंद हो जाएगा.</p>
<p style="text-align: justify;">टेलिकॉम कंपनियों ने भी इस कदम का समर्थन किया है. उनका कहना है कि आज ऐप्स केवल इंस्टॉल के समय SIM वेरिफाई करते हैं उसके बाद SIM हटे या बंद हो जाए ऐप फिर भी काम करता रहता है. यही वजह है कि स्पैमर्स और फ्रॉडस्टर्स नंबरों का आसानी से दुरुपयोग कर पाते हैं.</p>
<h2 style="text-align: justify;">ऐप्स को क्या बदलाव करने होंगे?</h2>
<p style="text-align: justify;">सरकार ने दो मुख्य शर्तें रखी हैं.</p>
<h3 style="text-align: justify;">SIM की लगातार मौजूदगी</h3>
<p style="text-align: justify;">ऐप को समय-समय पर यह जांचना होगा कि वही SIM फोन में लगी है या नहीं. जैसे ही SIM बदलेगी या हटेगी, ऐप तुरंत रुक जाना चाहिए.</p>
<h3 style="text-align: justify;">वेब एक्सेस पर रोक:</h3>
<p style="text-align: justify;">WhatsApp Web जैसे फीचर्स पर हर 6 घंटे में ऑटो-लॉगआउट जरूरी होगा. दोबारा लॉगिन तभी होगा जब आप फोन से QR कोड स्कैन करेंगे. इससे यूज़र और डिवाइस की पहचान सुनिश्चित होगी. ऐप्स को 120 दिनों के भीतर सरकार को रिपोर्ट करनी होगी कि उन्होंने सभी निर्देश लागू कर दिए हैं.</p>
<h2 style="text-align: justify;">आम यूजर्स पर इसका क्या असर होगा?</h2>
<p style="text-align: justify;">ज्यादातर लोगों की रोज़मर्रा की चैटिंग पर इसका बड़ा असर नहीं पड़ेगा. बस ऐप्स SIM चेक अधिक बार करेंगे और शायद कभी-कभी दोबारा लॉगिन करवाएं. लेकिन जिन यूजर्स का ऐप किसी सेकेंडरी डिवाइस पर चलता है या जो SIM एक फोन में रखकर ऐप दूसरे में इस्तेमाल करते हैं उन्हें परेशानी हो सकती है.</p>
<h2 style="text-align: justify;">क्या इससे ऑनलाइन फ्रॉड रुक जाएगा?</h2>
<p style="text-align: justify;">इस पर विशेषज्ञों की राय बंटी हुई है. कई साइबर विशेषज्ञ कहते हैं कि ठग अक्सर फर्जी दस्तावेज़ों से SIM खरीदते हैं, कुछ दिनों तक धोखाधड़ी कर SIM फेंक देते हैं ऐसे में SIM Binding भी उन्हें पूरी तरह रोक नहीं पाएगी. कुछ लोगों का कहना है कि भारत पहले से AI और वीडियो-KYC जैसी सख्त वेरिफिकेशन तकनीकें इस्तेमाल करता है, फिर भी फ्रॉड बढ़ रहा है तो समस्या शायद कहीं और है.</p>
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